गहलोत-पायलट सिर्फ फोटो में ही दिखे साथ; CM के एकला चलो मॉडल का क्या हुआ?
गहलोत-पायलट सिर्फ फोटो में ही दिखे साथ; CM के एकला चलो मॉडल का क्या हुआ?
टाइम्स ऑफ डेजर्ट
झारखंड से बायतू आने के दौरान लगता है प्रधानमंत्री मोदी ने शाहरुख खान की "मैं हूं ना" फिल्म देखी थी। ऐसा इसलिए क्योंकि अगर कल की सभा में उनका भाषण सुनें तो "मैं हूं ना" वाला भाव झलक रहा था। उनकी कुछ प्रमुख लाइन ऐसी थी "गहलोत मुझे कोस रहे हैं", "मुझे बहनों के स्वास्थ्य की चिंता थी, इसलिए फ्री गैस कनेक्शन दिए", "मैंने अनाज के भंडार खोल दिए", "हमने आतंकियों को घर में घुसकर मारा"। यानी हर चीज में मैं, मैं और सिर्फ मैं। ऐसा लगता है मी एंड माइसेल्फ इक्वल्स टू बीजेपी। परसों लाल डायरी के कुछ पन्ने मीडिया में आए और कल प्रधानमंत्री मोदी ने भाषण में कहा कि लाल डायरी पढ़ने के बाद तो कांग्रेसियों को वोट ही नहीं देना चाहिए।
जहां भाजपा का पूरा गेम प्लान मोदी की तरफ झुका हुआ है। वहीं कांग्रेस ने "ऑफेंसेस द बेस्ट डिफेंस" को अपना मंत्र बनाया। मोदी की यात्रा से कुछ देर पहले मुख्यमंत्री गहलोत ने मोदी से 7 से 8 सवाल पूछे। गहलोत ने मोदी से पूछा कि वह OPS कब लागू करेंगे, सबको गैस सिलेंडर 500 रुपए में कब देंगे, ईआरसीपी को नेशनल प्रोजेक्ट कब घोषित करेंगे, प्रदेश के 76000 करोड़ जो केंद्र ने रोक रखे हैं, वह कब रिलीज करेंगे। उम्मीद की जा रही थी कि सभा में मोदी गहलोत के सवालों का जवाब देंगे। लेकिन उन्होंने अपने मोनोलॉग की तरह एक ही रास्ता अपनाया। सिर्फ अपने मन की बात की।
अगर कांग्रेस पार्टी की बात करें तो परसों देर रात एक दुर्लभ फोटो अशोक गहलोत ने ट्वीट की। फोटो में मुख्यमंत्री गहलोत ने लिखा "एक साथ जीत रहे हैं, फिर से" इस फोटो में पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के साथ अशोक गहलोत और कुछ कांग्रेस नेता मंत्रणा करते हुए नजर आ रहे थे। कमाल की बात ये रही कि गहलोत की इस फोटो को पायलट ने रिट्वीट भी किया।
लेकिन यह दोस्ती या यह सामंजस्य सिर्फ ट्विटर तक की सीमित रहा है। क्योंकि कल जब अजमेर में कांग्रेस की गारंटी यात्रा चल रही थी। उसमें पायलट मौजूद नहीं थे। जबकि सचिन पायलट अजमेर के प्रभारी हैं। वैसे एक बात और है। जब भी सचिन पायलट और अशोक गहलोत की फोटो एक साथ आई है। उसमें आलाकमान के शांतिदूत केसी वेणुगोपाल जरूर होते हैं। अन्यथा इनको साथ लाना थोड़ा मुश्किल है।
वैसे अब कांग्रेस के पोस्टर्स में सचिन पायलट, मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा और डॉ सीपी जोशी भी दिखने लगे हैं। पहले यह सब नेता ऊपर छोटे-छोटे गोलों में होते थे। अब इनकी प्रॉमिनेंट फोटो जहां गोविंद सिंह डोटासरा की आती थी। वहां आने लगी है।
तो ऐसा अचानक क्या हुआ कि इन सभी नेताओं को जिन्हें दरकिनार कर दिया गया था और कांग्रेस भी भाजपा की तरफ मोनोलॉग में चल रही थी कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ही आगे हैं। लेकिन आखिर में आते-आते सबके फोटो लगाना पड़ा। क्या "एकला चालो" का मॉडल सक्सेसफुल नहीं हो रहा था।
कल बीजेपी ने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल को जो निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरे थे, उन्हें बर्खास्त कर दिया। इसके साथ ही कई और नेताओं पर भी इस तरह की कार्रवाई होने वाली है। जो बागी खड़े हुए हैं। वहीं कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने भी बागियों को चेतावनी दी की या तो कांग्रेस प्रत्याशियों को समर्थन दो या फिर कड़ी कार्रवाई के लिए तैयार रहो। लेकिन अब इन कार्यवाइयों का औचित्य समझ में नहीं आता। क्योंकि यह लोग निर्दलीय मैदान में उतर चुके हैं। तो इनका वैसे भी पार्टी से कोई वास्ता नहीं रहा। खैर चुनावी सीजन है, कुछ एक्शन तो दिखाना ही पड़ता है।
आखिर में एक बात और। नेता अपने आप में मौसम वैज्ञानिक होते हैं। कल अमीन पठान ने कांग्रेस ज्वाइन की। भाजपा छोड़ के ऐसा करने वाले शायद वह छठे या सातवें नेता हैं। वहीं कांग्रेस से भाजपा में जाने वालों का आंकड़ा करीब करीब 30 नेताओं का है। यानी नेता किस तरफ जा रहे हैं, चुनाव में यह भी एक इंडिकेटर होता है।
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