जानवरों की खाल व मांस के अपशिष्ट टुकड़ों से बीमारियां फैलने का खतरा
जानवरों की खाल व मांस के अपशिष्ट टुकड़ों से बीमारियां फैलने का खतरा
टाइम्स ऑफ डेजर्ट
संवाददाता कानु सोलंकी
सिवाना । उपखंड क्षेत्र में जगह-जगह गली मोहल्लों में खुली अवैध मटन चिकन की दुकानों से पूरी जनता परेशान है। ग्रामीणो ने बताया कि कस्बे में कई अवैध रूप से मीट की दुकानें संचालित हो रही हैं, जो की आज का ताजा बकरे का मीट बताकर फ्रीज में रखा दो-चार पुराना मीट देकर लोगों की सेहत से खिलवाड़ किया जा रहा हैं। जानवरों की खाल व अपशिष्ट मांस के टुकड़ों की वजह से मच्छर व मख्खियां भिनभिनाती रहती हैं, जिससे गंभीर बीमारियां फैलने का खतरा मंडरा रहा हैं। वहीं कई स्थानों कई स्थानों पर नियमों की अनदेखी कर खुलेआम मांस बेचा जा रहा है। ऐसा ही एक मामला सिवाना उपखण्ड क्षेत्र के मोकलसर में देखने को मिला। जहाँ पुलिस चौकी के पीछे नियमों को दरकिनार कर अवैध मीट की दुकान संचालित की जा रही है। जानकारी अनुसार दुकान संचालक बाड़मेर के लाइसेंस पर मोकलसर में दुकान चला रहा है। बता दे कि रसद विभाग की मिलीभगत से ये अवैध दुकान संचालित की जा रही है। विभाग की मिलीभगत से ऐसी कई दुकानें क्षेत्र में अलग अलग जगहों पर संचालित की जा रही है। इन दुकानों पर मांस को बिना ढके रखे जाता है, जिन पर मक्खियां भिनभिनाती रहती हैं। हैरत की बात यह है कि कुछ दुकानदार अस्वस्थ बकरे और मुर्गे भी काट लोगों में बीमारी परोस रहे हैं। साफ-सफाई के अभाव में तेज दुर्गंध निकलती है। लोगों का कहना है कि दुकानदार बकरे व मुर्गी के मांस के कचरे को जहां मन करता हैं वहां पर ही फेंक देते हैं। जिससे निकलने वाली बदबू से लोगों को परेशानी हो रही है। इसके बावजूद प्रशासन द्वारा किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही नही की जा रही हैं। जिसके चलते यह कारोबार फलफूल रहा हैं। दुकानों पर मापदंडों की कतई परवाह नही की जा रही हैं। जिसके चलते बीमारियां फैलने की प्रबल संभावना रहती हैं।
यह है नियम कायदे :
मीट की दुकान धार्मिक स्थल से बहुत दूर हो। मीट की दुकान सब्जी की दुकान के पास नहीं होगी। मीट दुकान के अंदर जानवर या पक्षी नहीं काटे जाएंगे। मीट की दुकानों पर काम करने वालों को सरकारी डाक्टर से हेल्थ सर्टिफिकेट लेना होगा। मीट की क्वॉलिटी पशु डॉक्टर से प्रमाणित करवानी होगी। शहरी इलाकों में सर्किल आफिसर, नगर पालिका अध्यक्ष निगम और फूड सेफ्टी एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन से एनओसी लेनी होगी। ग्रामीण इलाकों में ग्राम पंचायत, सर्किल अफसर और एफएसडीए एनओसी देंगे। मीट दुकानदार बीमार या प्रेगनेंट जानवर नहीं काट सकेंगे। मीट दुकानदार हर छह महीने पर अपनी दुकान की सफेदी करवाएंगे। मीट काटने के चाकू और दूसरे धारदार हथियार स्टील के होंगे। मीट दुकान में कूड़े के निपटारे के लिए समुचित व्यवस्था होगी। बूचड़खानों से खरीदे गए मीट का पूरा हिसाब किताब रखना होगा। मीट को जिस फ्रिज में रखा जाएगा उसका दरवाजा पारदर्शी होगा। मीट की दुकान में गीजर जरूरी होगा। दुकान के बाहर पर्दे या गहरे रंग ग्लास लगा हो, ताकि किसी को मीट नजर न आए। FSDA के किसी मानक का उल्लंघन होते ही लाइसेंस रद्द हो जाएगा।
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