संवाददाता सिवाना सिवाना। उपखण्ड क्षेत्र के मोकलसर के एमबीपी महाविद्यालय में गुरुवार को हिंदी दिवस का आयोजन किया गया। इस आयोजन में महाविद्यालय के बालकों ने बढ़ चढ़ कर भाग लिया। हिंदी दिवस के इस अवसर पर महाविद्यालय के विद्यार्थियों ने हिंदी की विश्व विरासत और उसका यथार्थ पर तर्क वितर्क कर आयोजन को सफल बनाया। मातृ भाषा दिवस के कार्यक्रम में बालकों को संबोधित करते हुए डॉ पीयूष पाचक ने विश्व में हिंदी के बढ़ते कदम पर चर्चा करते हुए कहा कि वैसे तो आज मातृ भाषा दिवस देश के समस्त कार्यालयों में मनाया जा रहा है परंतु विद्यालय, महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालयों में इसका आयोजन भाषा की प्रतिपुष्टि को बल प्रदान करता है, क्योंकि विचारों का प्रवाह यहीं से विकास की राह निर्धारण करता है, परंतु विडंबना यह है कि इस स्तरों पर भाषिक संप्रेषण कौशल में हिंदी के साथ क्षेत्रीय बोलियों को वास्तविक जीवन की मातृ भाषा के दायरे से बाहर रखा जाता है कहना ठीक रहेगा कि बोलियों के इस विस्तार को अब तक सभ्य समाज अपनी परम्परा से दूर ही समझ रहा है। वास्तविकता के तौर पर हिंदी के सहचर बोलियों को परंपरागत मातृ भाषा कहा जाए तो ठीक रहेगा, जिससे हिंदी की संप्रभुता और भी विश्व व्यापी हो सके। डॉ पीयूष ने बताया कि वैसे तो विश्व विरासत में बोलियों का महत्त्व कम नहीं है, क्योंकि मातृ भाषा की प्रथम नींव क्षेत्रीय बोलियों से फलती फूलती है, जो अंतत: विशाल वृक्ष के रूप में प्रखर होने पर भाषा का रूप ले लेती है। विश्विक फलक पर हिंदी को भले ही लोग हिंग्लिश के साथ रखकर देखते हो परंतु इसका दायरा बढ़ता ही जा रहा है। दशकीय परंपरा के पायदान को यदि थोड़ा बढ़ा कर देखे तो तय है कि हिंदी आगामी वर्षों में विश्व की प्रमुख भाषा होगी क्योंकि आज भी विचार प्रवाह की सरल वैतरणी है हिंदी। इस आयोजन में महाविद्यालय के जोगेश सुथार, हीरा लाल, ममता, मनीषा ने भाषा की महत्ता पर अपने विचार रखे। कार्यक्रम में महाविद्यालय विकास समिति के अध्यक्ष पोकर प्रजापत, महाविद्यालय कार्मिक अर्जुन, संजय, दिनेश, कन्हैया लाल उपस्थित रहे।