भारत में प्रतिवर्ष 1 करोड़ से ऊपर लोग पाइल्स रोग से ग्रसित है प्रतिवर्ष 20 नवंबर को वर्ल्ड पाइल्स डे मनाया जाता है।
भारत में प्रतिवर्ष 1 करोड़ से ऊपर लोग पाइल्स रोग से ग्रसित है प्रतिवर्ष 20 नवंबर को वर्ल्ड पाइल्स डे मनाया जाता है।
टाइम्स ऑफ डेजर्ट
आम तौर यदि पाइल्स रोगी समय पर डॉक्टर को दिखाते हैं तो यह औषधीय दवाइयों से समय के साथ टीक हो जाता है लेकिन अगर रोग और बढ़ जाए तो इसमें सर्जरी की आवश्यकता रहती है । सामान्य बोलचाल की भाषा में इसे मस्सा, खूनी या बादी बवासीर कहा जाता है । आयुर्वेद मतानुसार अर्श वातज, पितज, कफ़ज, रक़्तज, सहज प्रकार के होते हैं ।
अर्श की निरुक्ति, अरिवत्प्राणान् शृणाति इति अर्श ।
शत्रू के समान जो प्राणों को कष्ट करें, उसे अर्श कहते हैं।
अर्श गुदा स्थान में होने वाला एक रोग है, ।
कारण—-आयुर्वेद मतानुसार अर्श असंतुलित आहार करना, शारीरिक श्रम न करना, गरिष्ट पदार्थ का सेवन करना, मिर्च मसाला, चट पटी वस्तु का अधिक सेवन करना, अधिक आराम से बैठे रहना, अधिक मात्रा में शराब पीना, कब्ज की अधिकतर शिकायत रहना, रात्रि जागरण, चाय अधिक सेवन करने से, अर्श रोग के प्रधान हेतु हैं । जिनसे कब्ज़ विबंध हो जाता हैं ।
पाइल्स के लक्षण
- मल त्याग के समय दर्द होना और रक्त या म्यूकस आना ।
- एनस के आसपास सूजन या गांठ जैसे होना।
- एनस के आसपास खुजली होना।
- मल त्याग के बाद भी ऐसा लगना कि पेट साफ नहीं हुआ है ।
- पाइल्स के मस्सों से सिर्फ खून आना ।
- आज के समय की मुख्य वजह यह भी हैं-
टॉइलट में मोबाइल का यूज -करते समय सीट पर बैठकर लोग पूरी तरह चैट और मैसेज में व्यस्त हो जाते हैं और उनका दिमाग मोबाइल में व्यस्त होने की वजह से वहाँ ज़्यादा समय तक बेठने से इससे ऐनस के वेन्स पर लोअर रेक्टम में लगातार प्रेशर पड़ता है, जो पाइल्स की वजह बन सकता है। साथ ही असंतुलित भोजन व व्यस्त दिनचर्या के कारण पाइल्स के मरीजों की संख्या बढ़ रही है ।-
वैद्य पंकज विश्नोई आयुर्वेद चिकित्साधिकारी , राजकीय ज़िला हॉस्पिटल बाड़मेर
उपचार - अधिक समय तक बैठने से बचें, नित्य शारीरिक व्यायाम करे अधिकतम तरल पदार्थों का सेवन करे, मल त्याग के समय ज़्यादा ज़ोर न लगाएं, खानपान में छाछ, हरी सब्ज़ियां, रेशेंदार फल का सेवन ज़्यादा करे, मसालेदार भोजन ना करे ।
आयुर्वेद मतानुसार अर्श की चिकित्सा में आयुर्वेद दवाई का सेवन । अग्निकर्म, साथ ही क्षार-सूत्र चिकित्सा जिसमें औषधि पौधों जैसे स्नुही दूध, यव, अर्क, में से एक का क्षार, स्नुही दूध और हल्दी का मिश्रण तैयार किया जाता है । पक्के धागे पर क्षार की लगभग 21 परतें चढ़ाकर जो सूत्र या धागा बनाया जाता है, उसे ही क्षार सूत्र कहते हैं । इसका इस्तेमाल सर्जरी में किया जाता है । इस धागे या सूत्र को सावधानीपूर्वक गुदा में बनने वाले मस्सों में खास तरह की गांठ द्वारा बांध दिया जाता है । करीब एक हफ्ते में इस सूत्र से मस्से खत्म हो जाते हैं और साथ ही मवाद भी निकल जाता है ।
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